" स्वच्छता आजादी से महत्वपूर्ण है " महात्मा गांधी " स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास " यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक ' थेल्स ' का कथन है, उनके अनुसार स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और दिमाग का वास होता है। विख्यात यूनानी दार्शानिक अरस्तू कहतें है कि शिक्षा, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निर्माण करती है। यह व्यक्ति की क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाती है। विशेषकर मानसिक क्षमता को जिससे वह परम सत्य , अच्छाई और सौंदर्य का आनंद लेने योग्य हो सके।" लम्बी और खुशहाल ज़िन्दगी का ख्वाहिशमंद प्रत्येक मनुष्य होता है। यह आशा सिर्फ इसलिए ही आशा बन के रह जाती है क्योकिं मनुष्य अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सिर्फ रूपये-पैसे और भौतिक चीजों को तरजीह देता है जबकि सदियों पहले भी यह कहा जा चूका है कि ' तंदुरुस्ती हजार नियामत ' और ' जान है तो जहान है ' । क्या आप अपने स्वास्थ्य को ताक पर रखकर लंबी उम्र जी सकते हैं? यह स्वास्थ्य , स्वच्छता पर काफी हद्द तक निर्भर है। एक अध्ययन के मुताबिक विकासशील देशों में होने वाली 90 प्रतिशत बीमारियां और एक तिह...
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